कॉलोनी में चल रहे जिम की सीलिंग
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित निगरानी समिति के एक आदेश ने दिल्ली के रिहाइशी इलाकों में चल रहे पांच हजार से अधिक जिम मालिकों की नींद उड़ा दी है। निगरानी समिति ने 12 अगस्त 2008 के बाद शुरू हुए जिम और योग केंद्रों को सील करने के निर्देश नगर निगमों और दिल्ली विकास प्राधिकरण को दिए हैं।
दिल्ली की विभिन्न जिम एसोसिएशनों के मुताबिक इस आदेश की जद में 90 प्रतिशत जिम आ सकते हैं। जिम संचालकों का कहना है कि अगर जिम सील हुए तो न केवल हमारे परिवार जमीन पर आ जाएंगे, बल्कि जिम में नौकरी करने वाले हजारों लोगों के सामने भी रोजी-रोटी का सवाल खड़ा हो जाएगा। वहीं जिम बंद होने से लगभग तीन लाख युवाओं पर सीधे असर पड़ेगा जो रोजाना जिम में कसरत करते हैं।
दिल्ली में हजारों जिम और योग सेंटर पर लटकी सीलिंग की तलवार के बीच भाजपा का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मिला। इस दौरान पुरी ने भरोसा दिया कि दिल्ली में संचालित जिम और योग केंद्रों को सील नहीं किया जाएगा, बल्कि कानून में बदलाव करके रिहायशी और व्यावसायिक इलाकों में भी जिम चलाने की स्वीकृति दी जाएगी।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि मानिटरिंग कमेटी के नोटिस के बाद कुछ लोगों ने दिल्ली में भय का माहौल पैदा कर दिया है। उन्होंने कहा कि शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भरोसा दिलाया है कि दिल्ली में कोई जिम बंद नहीं होने दिया जाएगा, बल्कि आगामी बैठक में कानून में संशोधन करके जिम और योग केंद्र संचालकों को राहत दी जाएगी।
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि केंद्रीय मंत्री से मिलने के बाद जिम संचालकों ने राहत की सांस ली है, क्योंकि उन्हें मोदी सरकार पर पूरा भरोसा था, लेकिन आज पूर्ण विश्वास हो गया है।
कांग्रेस सरकार के दौरान मास्टर प्लान 2008 में इस बात का उल्लेख किया गया है कि 2008 के बाद दिल्ली में न व्यावसायिक और न ही रिहायशी क्षेत्रों में नए जिम खोले जा सकते हैं, जो पूरी तरह गलत है।